एक लड़की मरने पर मजबूर हुई
जब ये दुनिया जाहिलों की बस्ती में सूर हुई
फिर वो किसी हैवानियत में मख़मूर हुई
किया उसने अपने ही हाथों इंसानियत का क़त्ल
तब एक लड़की फिर से मरने पर मजबूर हुई
पैदा होते बेटी का,सब उदास होने लगे
फिर उसको मिटाने की तरक़ीब सोचने लगे
फिर जब उनपर,अंधविश्वास की फुतूर हुई
तब एक लड़की फिर से मरने पर मजबूर हुई
बहुत मुश्किल होता है इक लड़की का लड़की होना
जब हार जाती वो खुद से,फिर जिंदगी का बोझ ढोना
जब जिंदगी अपने ही ग़मो से नासूर हुई
तब एक लड़की फिर से मरने पर मजबूर हुई
उम्र की तबाही ने जब दिल मे शोर मचाया
क़दम फिर किसी गलत मोड़ से टकराया
मौत को जिंदगी समझने की जब क़ुसूर हुई
तब एक लड़की फिर से मरने पर मजबूर हुई
घोंटा जब गला मजबूरी ने,उठाया कदम किसी गली में
शर्म ,हया सब छोड़ कर बेग़ैरत की राह चली मैं
बदनामी की चुनर जब सरेआम मशहूर हुई
तब एक लड़की फिर से मरने पर मजबूर हुई
शादी में बाप की पैसा,इज़्ज़त भी दाव पर लग जाती
फिर भी लड़की के किस्मत में जब सिर्फ जिल्लत ही आती
जब भी दहेज़ की तानो से उसकी जिंदगी कुबुर हुई
तब एक लडक़ी फिर से मरने पर मजबूर हुई
फिर भी जब किसी अपने का साथ नही मिलता
ज़ख्म को मरहम से जब कोई नही सिलता
हमसफ़र के रूठ जाने से जब जिंदगी बेनूर हुई
तब एक लड़की फिर से मरने पर मजबूर हुई
जब शाख से टूटकर कोई पत्ता गिर जाता है
फिर उस पत्ते में कभी हरियाली नहीं आती है
जब उसकी जिंदगी दूसरे के हाथ महसूर हुई
तब एक लड़की फिर से मरने पर मजबूर हुई
सारे मुश्किलों को वो पार कर गयी
हर तक़लीफ़ से अकेले लड़ गयी
फिर भी जब खुशियां उसके हिस्से से दूर हुई
तब एक लड़की फिर से मरने पर मजबूर हुई
#Parveen