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Ye is yug ka sbse bhyavak yug tha ये इस युग का सबसे भयावक युग था शायद सब कुछ ठीक हो जाएगा लेकिन ये...
मैं आदमी हूं भी के नहीं हूं ? मैं आदमी हूं भी के नहीं हूं ? ज़िन्दा अभी हूं भी के नहीं हूं ?...
DULHAN “दुल्हन” वो थी पीहर छोड़ आयी ले के एक सपना नयन में देखती थी नया जीवन और नयी दुनिया सजन में माँ की...
Vivashta विवशता शशि मुख पर तु क्यों घूंघट डाले आंचल में विरह दुख लिए कोतुहल जीवन से तु निकलना क्यों चाहे नवयौवन में अर्धांगनी...
कौन कहता है चट्टाने रोती नही चिल्लाती है चीखती है कभी कभी चट्टान भी रोती है जब दर्द का सैलाब उमड़ता है उसके अंदर...
मेरे कमरे का सामान डिब्बे में भरे सवाल, और चाबी कहीं गुमनाम, आंसुओं से भरा तकिया, कागज़-कलम का प्यार, एक सुलगती सी मोमबत्ती, रात...