प्रीत लगी
प्रीत लगी जग की रीत लगी
मेरे तन को प्रेम की प्रीत लगी
बहारो बहार
खाली लगे बाज़ार
चाँद अब सूरज
हसीं लगे काली रात
रूह में उलझन की तरंग छिड़ी
मेरे तन को प्रेम की प्रीत लगी
मोहक लगे बस इक चेहरा
बाकी सब सड़े आम
मिठी मिठी लगे अब मिर्ची
शहद लगे उसकी आवाज़
मोहे प्रीत लगी जग की रीत लगी
मेरे तन को प्रेम की प्रीत लगी
स्वाली लगते तोते- मैना
मेरी चिड़िया मुझसे दूर लगे
लगते अच्छे सारे काम अब
प्यारी माँ की घूर लगे
न किस्से न कहानियाँ
मुझे खाली सफह रुखसार लगे
सब कुछ लगे अनोखा अनूठा
प्यारा चेहरे का दाग लगे
मेरी रूह को ऐसी प्रीत लगी
मेरे तन को प्रेम की प्रीत लगी
प्रीत लगी मोहे जग की रीत लगी
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