Ye is yug ka sbse bhyavak yug tha
ये इस युग का सबसे भयावक युग था
शायद सब कुछ ठीक हो जाएगा लेकिन ये वक़्त ,लम्हे और हालात शायद कभी ना भूल पाये
ये इस युग का सबसे भयावक युग था ,
ये एक युग सा बन गया हैं शायद ये युग एक बार या कई बार आ जाए, क्या पता किसी को लेकिन जिसे पता है
वो कहते है कभी ना आये ऐसा युग।
इतना भयावक था ,इंसान इंसान से ही दूर हो गया ,
जो ना किसी को देखना चाहे ,
ना सुनना ,ना ही बोलना
बस मौन रहना चाह रहा था
एकदम शांत ,ये सब देखकर ,
अन्दर की आत्मा भी सवालों के
घिरे में आ जाती है
जिसके उत्तर किसी के पास ना थे
लेकिन हर नजर उत्तर पूछ रही थी, कि कब ,कैसे ,क्यों , किस लिये ,और इन सब का उत्तर किसी को पता नहीं था
जैसे मची हो चारों ओर
एक ऐसी भगदड़ जहाँ सब किसी ना
किसी से आगें जाना चाह रहें हो
और शायद आना भी ,
ये हालात बहुत ही भयावक थे
जहाँ कोई भी हार मानने को तैयार ना था,
लेकिन फिर भी हार मिल रही थीं
मन में एक चोट है ,जो शायद है कि घाव भर जाये
लेकिन वो निशान हर दिन उस वक़्त की याद दिलाता रहेगा
जो उस वक़्त हुआ था,जब देखा भी ना जा रहा था लेकिन फिर भी सब चुप-चाप देख रहे थे,और कुछ ना कर पाने का मलाल था ये सब देखकर शायद ही है
जब किसी देखने वाले के रोंगटे ना ख़ड़े हो
लेकिन सब देखकर बस एक-दूसरे के लिये दुआ ही की गई है
जो मानव में इतनी मानवीयता बची थीं ,
जिसे सजोकर रखा जाना चाहिये था
कभी-कभी शायद हिम्मत टूट ही जाती होगी उस वक़्त
लेकिन उस वक़्त भी हिम्मत होती थी
जब सब लड़ रहे थे
जीने के लिए ,और अपनो को जिन्दा ऱखने के लिये भी।
कुछ घटनाएं ऐसी थीं
जो घटी ऐसे जैसे
एक तेज हवा का झोंका आया
और सब ओढ़ाकर ले गया हो।
और हम ढूढ़ते रह गये ,कि हुआ क्या था।
क्या सच में तूफान ही आया था
या कुछ और था एकदम सपनें जैसा
कब आया ,कब गया पता ही ना चला
वो वक़्त शायद कभी कोई
याद ना करना चाहें
लेकिन जाने अनजाने
वो वक़्त याद आयेगा
शायद आँखे भी भर आये,
आवाज भी भर आये
लेकिन फिर भी तुम
अपने मन की व्यथा को अन्दर
ही सोख लोगे उसे समेट लोगे ऐसे जैसे माँ अपने बच्चें को आँचल में समेटी है।
शायद तुम मन को समझा भी लोगे
एक यादों का पिटारा बनाके,
जो हर युग की पीढ़ी सुनेंगी
ये इस युग का सबसे भयावक युग था।
~रोशनी
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