main aadmi hun bhi ke nahi hun? - ThePeepTimes
ThePeepTimes Bringing a fresh new perspective on different niche through words!

main aadmi hun bhi ke nahi hun?

0 sec read

मैं आदमी हूं भी के नहीं हूं ?

मैं आदमी हूं भी के नहीं हूं ?
ज़िन्दा अभी हूं भी के नहीं हूं ?

इंसानों को मरते देखता हूँ
जब दुनियाँ को जलते देखता हूँ
ज़ालिम को मैं, हँसते देखता हूँ
मज़लूम को डरते देखता हूँ

इंसान को फिर मैं खोजता हूँ
बेबस हो के फिर मैं सोचता हूं
मैं आदमी हूं भी के नहीं हूं ?
ज़िन्दा अभी हूं भी के नहीं हूं ?

मज़हब की कही पे है लड़ाई
नफ़रत है स़हाफी ने बढ़ाई
दौलत के लिए कही कटाई
सरकार की है कही ख़ुदाई

इंसान को फिर मैं खोजता हूँ
बेबस हो के फिर मैं सोचता हूं
मैं आदमी हूं भी के नहीं हूं ?
ज़िन्दा अभी हूं भी के नहीं हूं ?

दुनियाँ को ये कैसा देखता हूँ
मह़शर के मैं जैसा देखता हूँ
अच्छा नहीं वैसा देखता हूँ
जड़ सब की मैं पैसा देखता हूँ

इंसान को फिर मैं खोजता हूँ
बेबस हो के फिर मैं सोचता हूं
मैं आदमी हूं भी के नहीं हूं ?
ज़िन्दा अभी हूं भी के नहीं हूं ?

अजनबी की क़लम से
#Ajnabi
#feature

ThePeepTimes Bringing a fresh new perspective on different niche through words!

Leave a Reply

Your email address will not be published.

BigBrandTree Never miss tips, poetry and stories we publish! Subscribe to get them first.